Friday, 21 October 2016

सूर्य साधना 2

भगवान सूर्य की उपासना कौन नहीं करना चाहेगा ? भगवान् सूर्य सबका मंगल करने वाले है , वह ग्रहों के राजा माने जाते है ! सूर्य देवता को साक्षात देव माना जाता है जो प्रतिदिन सारी सृष्टि को दर्शन देते है ! शास्त्रों के अनुसार सूर्य उदय के समय ब्रह्मा रुपी गायत्री का ध्यान कर गायत्री मन्त्र का जप करे , जब सूर्य सिर के ऊपर जाये तो विष्णु रुपी गायत्री का ध्यान कर गायत्री मन्त्र का जप करे और शाम के समय शिव रुपी गायत्री का ध्यान कर गायत्री मन्त्र का जप करे ! सूर्य उदय के समय कुमारी का ध्यान करे और मध्यान्ह में नवयुवती का ध्यान करे और शाम के समय वृद्ध रुपी गायत्री का ध्यान करे ! सूर्यास्त के बाद गायत्री जप निषेध माना जाता है !


ज्योतिष  के अनुसार सूर्य के अस्त हो जाने के बाद जन्म कुंडली पर विचार नहीं करना चाहिए क्योंकि जब ग्रहों के राजा सूर्य अस्त हो जाये तो वेद का तीसरा नेत्र कहे जाने वाले ज्योतिष को भी विश्राम देना चाहिए ! भगवान् सूर्य के बारह नाम है , वह प्रत्येक राशि में अपना अलग प्रभाव और अलग रूप दिखाते है ! प्रातःकाल भगवान् सूर्य को उनके बारह नामो से जल देने का पुण्य एक हज़ार गौ दान के बराबर है !



ज्योतिष ने सूर्य को सरकार का कारक माना है यदि राजा का 'कर' मतलब सरकार का टैक्स चोरी किया जाये तो सूर्य बुरा फल देते है इसलिए हमें हमारा टैक्स जरूर भरना चाहिए ! भगवान् सूर्य की कृपा से तेज़ , बल और बुद्धि की वृद्धि होती है और चर्म रोग आदि अनेक व्याधिया शांत होती है !

सूर्य पूजन केवल सूर्य के रहते ही किया जाता है सूर्यास्त के बाद सूर्य पूजन करने से शनि का कोप सहना पड़ता है क्योंकि सूर्यास्त के बाद सूर्य के शत्रु शनि का समय शुरू हो जाता है और शनि इस काल में बलवान हो जाते है क्योंकि उन्हें काल का बल मिल जाता है ! वैदिक ज्योतिष में भी सूर्यास्त के बाद सूर्य पूजन की मनाही है यदि सूर्य सप्तम भाव में हो और व्यक्ति सूर्यास्त के बाद दान करे तो उस व्यक्ति को अपने जीवन में अनेक



समस्याओं का सामना करना पड़ता है , पर कुछ विद्वानों का मत है कि सूर्य का पूजन सूर्यास्त के बाद करना चाहिए और ऐसे विद्वानों का यह भी कहना है कि सूर्य को जल देने के लिए जल में चीनी मिलानी चाहिए ! यदि डूबे हुए सूर्य को प्रणाम किया जाये और पूजन किया जाये तो सूर्य का विपरीत फल मिलता है और व्यक्ति भी डूबे हुए सूर्य की तरह ही डूब जाता है ! यहाँ ध्यान देने योग्य यह बात है कि सूर्य पूजन में सदैव जल में गुड़ मिलाया जाता है क्योंकि सूर्य एक गर्म ग्रह है और गुड़ को भी गर्म माना जाता है पर पता नहीं किस आधार पर यह विद्वान सूर्य पूजन में चीनी इस्तेमाल करने की राय देते हैऐसे विद्वानों को यदि महामूर्ख की उपाधि दी जाये तो महामूर्ख शब्द का अपमान होगा ! केवल प्रसिद्धि के लिए यह विद्वान् लोगो को गलत राह दिखा रहे है ! सूर्य पूजन में लाल वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाता है !



मैं यहाँ सूर्यदेव की एक अनुभूत साधना दे रहा हूँ  ! यह साधना नाथ पंथ में बहुत प्रचलित है और इसे सूर्य गायत्री कहा जाता है ! इस साधना से भगवान् सूर्य की कृपा प्राप्त होती है और आपको सरकारी नौकरी तक मिल सकती है इसमें कोई संदेह नहीं है !


||  मन्त्र  || 

सत नमो आदेश
गुरूजी को आदेश !
गुरूजी ! ओमकार निरंजन निराकार सूर्य मन्त्र  तत सार !
गगन मंडल का कौन राजा कौन धर्म कौन जाति

गुरूजी गगन मंडल का सूरज राजा
सात अश्व रथ सवार सत धर्म जाति का क्षत्रिय
ब्रहम आत्मा रूद्र का अवतार तीन काल का काल निर्माण ,
प्रथमे मित्र नाम द्वितीय विष्णु , तृतीय वरुण नाम
चतुर्थे सूर्य नाम , पंचमे भानु नाम , षष्ठमें तपन नाम ,
सप्तमे इन्द्र नाम , अष्टमे खगे नाम , नवमे गभस्ति नाम ,
दशमे यमाय नाम, एकादश हरिन्यरेता नाम , द्वादशे दिवाकर नाम
एता द्वादश नाम नमो नमः

गुरूजी गगन मंडल में जय जय ओमकार  , 
कोटि देवता अपने ग्रह सवार सात वार सताईस नक्षत्र नौ ग्रह बारह राशि पंद्रह तिथि
आओ सिद्धो राखो मन खोजो  पवन खोजो सुर आवागमन
त्रिकुटी भई कोटि प्रकाश
निर्मल ज्योत दशवे द्वार सिद्ध साधक भरलो साखी श्री शम्भु यति गुरु गोरक्षनाथ जी ने भाखी

भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमही तन्नो सूर्य प्रचोदयात मन्त्र पढ़ अग्नि को जलाये सो नर सूर्य लोक में जाये बिना मन्त्र अग्नि को जलाये सो नर नरक में जाये
इतना सूर्य मन्त्र  गायत्री सम्पूर्ण भया
श्री नाथजी गुरूजी को आदेश
अनन्त कोट सिद्धो में , त्र्यम्बक  क्षेत्र  अनुपान शिला पर बैठ श्री शंभु यति गुरु गोरक्षनाथ जी ने पढ़ कथ कर सुनाया !
श्री नाथजी गुरूजी को आदेश आदेश ! 


||  विधि  ||



इस मन्त्र से सूर्य उदय के समय सूर्य देव को जल दे और फिर इस मन्त्र का दो घंटे जप करे  ! ऐसा करने से मन्त्र सिद्ध हो जायेगा ! सूर्य देव को चढ़ाये जाने वाले जल में गुड़ मिलाये ! ऐसा ४१ दिन करे मन्त्र सिद्ध हो जायेगा ! जब भी कभी पूजन के लिए आग जलाये तो इस मन्त्र का जाप करे अनेक योगी धूने में आग लगाते समय इसी मन्त्र का जाप करते है ! वस्त्र कोई भी पहन सकते है माला की कोई आवश्यकता नहीं क्योंकि सच्चे साधुओं के पास तो रहने के लिए झोपड़ी भी नहीं होती तो मणियों की माला और रंग बिरंगे  वस्त्र कहाँ से लाये ! साधु बनकर ही इस मन्त्र का जप करे !


||  विशेष विधि  ||



यदि सूर्य देव पर त्राटक करते हुए दोपहर में रोज इस मन्त्र का जाप किया जाये तो भगवान् सूर्य साक्षात दर्शन देते है ! पहले एक मिनट त्राटक करे फिर धीरे धीरे यह अभ्यास एक घंटे तक ले जाये ! ऐसी साधना सूर्यपुत्र कर्ण ने की थी , पर इस साधना को सिद्ध गुरु की देख रेख में ही करे और जब भी सूर्य त्राटक करे तो साथ में साबर सोम गायत्री का जाप रात्रि में करते हुए चन्द्र पर त्राटक जरूर करे जितने दिन चन्द्र दर्शन हो उतने दिन केवल सोम गायत्री मन्त्र  का जप करे ! सोम गायत्री अपने गुरुदेव से प्राप्त करे !


भगवान् सूर्य आप सबका कल्याण करे और गलत प्रचार करने वाले विद्वानों को भी सद्बुद्धि दे !❤

जय सद्गुरुदेव  !

2 comments

आपने अच्छी साधना का वरणन किया है

Surya sadhna mantra bol ke padhe ya smaran karke man hi man


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