एक कथा के अनुसार भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने अवतार लिया और प्रह्लाद के पिता हरिनाय्कशिपू को मार डाला पर उसे मारने के बाद भी उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ! देवी देवताओ के सभी उपाय विफल हो गए तो उन्होंने भगवान शिवजी से प्रार्थना की,काल के भी काल महादेव ने उस समय भगवान शर्भेश्वर का अवतार लिया और अपने पंजो में नरसिंह भगवान को पकड़ कर ज़मीन पर पटक दिया!ऐसा करने से भगवान नरसिंह शांत हो गए!भगवान नरसिंह ने शाम के समय अवतार लिया था उसी रात भगवान शिव ने अवतार लिया था! नरसिंह जयंती की अर्धरात्रि से शरभ जयंती मानी जाती है!
भगवान नरसिंह यदि किसी भी प्रकार शांत होने को तयार न हो तो शर्भेश्वर मन्त्र को जपना चाहिए! मेरे गुरुदेव का कहना था सभी अनिष्टो का नाश करने वाले भगवान नरसिंह है पर जिसने शर्भेश्वर मन्त्र को सिद्ध कर लिया उसके आगे तो भगवान नरसिंह भी हाथ बांधे खड़े रहते है! नरसिंह मन्त्र का यदि किसी पर मारण प्रयोग कर दिया जाये और वो व्यक्ति शर्भेश्वर मन्त्र का जानकर हो तो प्रयोग बिफल हो जाता है! इस मन्त्र का जितना भी गुणगान किया जाये कम है क्योंकि यदि इस मन्त्र को पढ़ कर कोई विशेष काम किया जाये तो उसमे निश्चित तौर पर सफलता मिलती है!आपके शत्रु आपसे आंख भी नहीं मिला सकते और जो शत्रुता रखते है उनका पतन शुरू हो जाता है!ऐसा मैने कई बार अनुभव किया है!साधारण शत्रु तो क्या?
अगर आपका शत्रु इन्द्र के सामान पराक्रमी हुआ तब भी उसका विनाश निश्चित है!यदि इस मन्त्र को जपते हुए आप शेर चीते या किसी हिंसक जंगली जानवर से नज़र मिला ले तो वो भी शांत होकर बैठ जायेगा!
भगवान शर्भेश्वर के बारे में बहुत कम लोगो को जानकारी है क्योंकि पुराणों में इस बात का जिक्र नहीं आता कि शरभ अवतार हुआ था! आज मै आपके सामने पक्षीराज शर्भेश्वर का एक गोपनीय प्रयोग लिख रहा हूँ! मुझपर बार बार आरोप लगाने वाले कि मै लोगो के मन्त्र चुराकर लिखता हूँ यह अच्छी तरह जानले यह
भगवान शर्भेश्वर के बारे में बहुत कम लोगो को जानकारी है क्योंकि पुराणों में इस बात का जिक्र नहीं आता कि शरभ अवतार हुआ था! आज मै आपके सामने पक्षीराज शर्भेश्वर का एक गोपनीय प्रयोग लिख रहा हूँ! मुझपर बार बार आरोप लगाने वाले कि मै लोगो के मन्त्र चुराकर लिखता हूँ यह अच्छी तरह जानले यह
मन्त्र मुझे मेरे गुरुदेव सिद्ध रक्खा रामजी ने दिया है और मेरे गुरुदेव ने मुझे इतना ज्ञान तो दिया ही है कि मुझे चोरी करने कि कोई जरूरत नहीं है! जो लोग मुझपर आरोप लगा रहे है वो मेरे लिखे इस मन्त्र को यदि किसी ग्रन्थ या किसी और ग्रुप में लिखा हुआ दिखा दे तो मै जीवन भर उनकी गुलामी करने को तयार हूँ! मन्त्र इस प्रकार है!
मन्त्र ::-
ॐ नमो आदेश श्री गुरूजी को!
उत्तराखंड से योगी आया
साथे नरसिंह देव लाया
नरसिंह को मै जोडू हाथ
जो न माने मेरी बात
शर्भेश्वर को करू पुकार
पक्षीराज शर्भेश्वर आये
चोटी पकड़ नरसिंह को बिठाये!
मेरा बुलाया न आये मेरे गुरु का बुलाया आये!
मेरा चलाया न चले मेरे गुरु का चलाया चले!
मेरा भेजा जाये भूत को प्रेत को मरघट को मसानी को
नरसिंह को बांध बांध कर न लाये तो माता पार्वती की सेज पड़े!
जाग जाग शर्भेश्वर जाग वावन वीर चौसठ योगिनी की लाज!
जाग जाग काली भैरों नु मन्नके जाग
जाग जाग नौ नाथ चौरासी सिद्धा नु मन्नके जाग
जाग जाग मेरे गुरु के वचन से जाग
जाग जाग हनुमान वीर नु मन्नके जाग
जाग जाग ब्रह्मा विष्णु शिव नु मन्नके जाग
बांध बांध भीम की विद्या बाँध
हडिम्बा की चौंकी बाँध खटोत्कच का पहरा बाँध
नरसिंह देव को बाँध
छतीस कोस आगे जा छतीस कोस पीछे जा
मेरा कहा करके आ न आये तो गुरु गोरखनाथ के धूने में जले!
चले मन्त्र फुरे वाचा देखां पक्षीराज शर्भेश्वर तेरे ईलम का तमाशा!
दुहाई गुरु गोरखनाथ की!
विधि ::-
इस मन्त्र का जप नरसिंह जयंती की रात को २ वजे करे!यह मन्त्र २ घंटे जपो और अग्नि में गूगल की आहुति
देते रहे और मिठाई अपने पास रखे!दुसरे दिन मिठाई बाँट दे!फिर २१ दिन लगातार २ माला जप करे और हररोज बर्फी बच्चो को बांटे! मन्त्र सिद्ध हो जायेगा!
प्रयोग विधि::-
जब प्रयोग करना हो तो इस मन्त्र का २१ बार जप करके भगवान शाभेश्वर से प्रार्थना करे!आपका कार्य सिद्ध
हो जायेगा!कार्य होने के बाद शिव मंदिर में मिठाई जरूर चढ़ाये!
जय सद्गुरुदेव ।
जय सद्गुरुदेव ।
2 comments
sir kuldevta ki sadana ke bare me kuc bataye unki seva kis tara karni
mere ya narsing ki ..........
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