Thursday, 20 October 2016

गोरक्ष गायत्री

नाथपंथ में गोरक्ष  गायत्री का स्थान बहुत ऊँचा है ! वैसे तो प्रत्येक सिद्ध की गायत्री का उल्लेख नाथपंथ में है पर 12  पन्थो में से किसी भी पंथ से नाथ योगी सम्बन्ध क्यों ना रखता हो उसे गोरक्ष  गायत्री का ज्ञान अवश्य होता है !गोरक्षनाथ जी को नाथ पंथ में शिव अवतार माना जाता है और ये माना जाता है कि सहस्त्रार चक्र में गोरक्षनाथ जी का स्थान है और कुण्डलिनी रुपी शक्ति सहस्त्रार में गोरखनाथ जी से जा मिलती हैनाथ पंथी साधक प्रत्येक साधना से पहले गोरक्ष  गायत्री का जाप अवश्य करते है और नित्य पूजन में भी गोरक्ष गायत्री का जप भगवान् गोरक्षनाथ जी की कृपा  प्राप्ति के लिए करते हैं ! जिसने भगवान् गोरखनाथ जी की कृपा प्राप्त कर ली उसने शिव तत्व को पा लिया और जिसने शिव तत्व को पा लिया उसका मोक्ष निश्चित है ! योगी सदैव इसी प्रयत्न में लगे रहते है की उन्हें भगवान् गोरक्षनाथ जी के दर्शन हो जाए ! गोरक्ष गायत्री को यदि सिद्ध कर लिया जाए तो इसके जप मात्र से साधक के कार्य सिद्ध हो जाते हैं , वह कार्य चाहे दैहिक हो दैविक हो  अथवा भौतिक ! 

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मन्त्र | | 
सत नमो आदेश ! गुरूजी को आदेश ! गुरूजी ! 
अलख निरंजन कौन स्वरूपी बोलिए ! 
अलख निरंजन ज्योति  स्वरूपी बोलिए ! 
ओमकारे शिवरूपी, संख्या ने साधरुपी , 
मध्याने हंस रुपी , हंस परमहंस दो अक्षर,
गुरु तो गोरक्ष, काया तो गायत्री ब्रह्मा, 
सोहं शक्ति, शून्य  माता , 
अविगत पिता , अभय पंथ , अचल पदवी , 
निरंजन गोत्र , विहंगम जाति , 
असंख्य प्रवर, अनन्त शाखा, सूक्ष्म वेद , 
आत्मज्ञानी, ब्रह्मज्ञानी -
श्री गो गोरक्षनाथाय विदमहे -शून्य पुत्राय धीमही, तन्नो गोरक्ष निरंजन : प्रचोदयात ! 
इतना गोरक्ष गायत्री जाप  सम्पूर्ण भया ! श्री नाथ जी गुरु जी को आदेश ! आदेश
!

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विधि | | 
इस साधना को शुक्ल पक्ष के रविवार से शुरू करे और साधना के दौरान घी का दिया जलता रहना चाहिए ! प्रतिदिन इस मंत्र का १०८ बार जप करे , पहले दिन रोट लगायें और साधना में जितने भी रविवार आयें उसमे रोट लगाना भूले ! रोट की 11 आहुति अग्नि में इस मंत्र द्वारा दें , जप के दौरान अग्नि पर गुग्गल सुलगती रहनी चाहिए ! २२वे दिन दोबारा रोट दे और 11 मीटर भगवा कपडा किसी योगी को दान में दें अथवा किसी धूने पर चढ़ा दें ! साधना के दौरान आसन और कीलन मंत्र अवश्य पढ़ें ! साधना गुरु आज्ञा से ही करें !

जय सदगुरुदेव..................... ...!!

2 comments

Isme Rot ka matlabh samjayiye please... रोट लगायें और साधना में जितने भी रविवार आयें उसमे रोट लगाना न भूले ! रोट की 11 आहुति अग्नि में इस मंत्र द्वारा दें...

अलख निरंजन ओम श्री गोरक्ष नाथाय नमः


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