शिवरात्रि भगवान शिवजी का पर्व है ! शिवरात्रि से तंत्र माह आरम्भ हो जाता है और नवरात्र के समाप्न के साथ तंत्र माह समाप्त हो जाता है ! इस समय को तंत्र माह इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस काल की शुरुवात भगवान शिव से होती है और समाप्न शक्ति पर ! अधिकतर काम्य प्रयोग और दुर्लभ साधनाएँ इसी काल में सिद्ध की जाती है ! भगवान शिव को सर्वाधिक प्रिय रुद्राक्ष है और उन्हें शमशान भस्म चढाई जाती है ! उन्हें धतूरा चढाने का सर्वाधिक फल बताया जाता है ! जगद्गुरु शंकराचार्य जी ने बहुत से मंदिरों में शमशान भस्म चढाने पर रोक लगा दी थी पर आज भी कई मंदिरों में शमशान भस्म का प्रयोग किया जाता है ! प्रस्तुत धना भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए शिवरात्रि को की जाती है !
|| साधना मंत्र ||
ओम शिव भस्मराय
|| साधना विधि ||
रात्रिकाल में भगवान शिव का पूजन करे और शिवलिंग को चिता भस्म से स्नान कराये फिर स्वयं चिता भस्म का तिलक लगाएं ! यदि हो सके तो ऊपर दिए हुए मंत्र का जाप करते हुए पूरे शरीर पर भस्म धारण करे , जो लोग भस्म गायत्री का ज्ञान रखते है वे भस्म गायत्री का जाप करते हुए भस्म धारण करे और फिर कम से कम 10 घडी ( 240 मिनट ) इस मंत्र का जाप करे ! अंत में हाथ में जल लेकर भगवान शिव का स्मरण करते हुए कहे - " हे परमात्मा शिव ! तेरा जप तेरे ही अर्पण , मेरा तंत्र माह खोल दो " !
जय सदगुरुदेव !!
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संभवतः मन्त्र शिव भस्मरमाय होगा ?
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