Friday, 21 October 2016

नवरात्री साधना


नवरात्रे शुरू होने वाले है और नवरात्रों के साथ ही हो जायेगा नववर्ष का आगमन आइये नववर्ष की शुरुआत करते है माँ भगवती की अराधना से ! माँ भगवती का यह पूजन हमें नारी की शक्ति से अवगत करवाता है पर पता नहीं कैसे लोग भूल जाते है की नारी ही शक्ति है और शिव भी कहते है यदि शक्ति मुझसे निकल जाये तो मैं एक शव हूँ ! फिर भी हमारा यह घटिया समाज नारी को अवला कहता है, यहाँ तक की हमारे बड़े बड़े संत जिनकी वाणी का घर घर पाठ होता है उन्होंने भी नारी को ढोल और पशु से जोड़ दिया, जबकि हमारे धर्म ग्रंथो के अनुसार नारी जगत जननी है ! जिन असुरो को देवता भी पराजित नहीं कर पाए उन असुरो को भी देवी ने क्षण में परास्त कर दिया ! शाक्तो ने माँ का गुणगान कर माँ को प्रसन्न कर लिया और इच्छित फल पाया ! जगतगुरु शंकराचार्य बलि प्रथा रोकने के लिए एक बार कामख्या गए तो उन्हें दस्त लग गयी ! तब एक छोटी सी लड़की उनके पास आई और उनसे कहा क्या आप शाक्तो को इस समय ज्ञान गोष्टी में पराजित कर सकते हो ? इस पर शंकराचार्य जी ने कहा में पराजित तो कर सकता हूँ पर इस समय मुझ में शक्ति नहीं है ! यह सुनकर माँ भगवती ने कहा जिस शक्ति के बिना तुम सीधे खड़े नहीं हो पा रहे हो उस शक्ति के पराजित करना चाहते हो ! माँ के इतना समझाने पर भी शंकराचार्य नहीं माने और मंदिर के पुजारी से कहा मुझसे शास्त्रार्थ करो यदि मैंने तुम्हे पराजित कर दिया तो बलि प्रथा बंद करनी पड़ेगी ! पुजारी ने कहा मैं सोचकर बताता हूँ, रात को पुजारी ने माँ से प्रार्थना की कि माँ मैं तो तेरी पूजा के बिना कुछ जनता ही नहीं शास्त्रों का मुझे कोई ज्ञान नहीं है, मैं पराजित हो जाऊंगा ! इस पर माँ ने कहा तुम शास्त्रार्थ के लिए हाँ कह दो पर यह शर्त रखना कि हम दोनों के बीच एक लाल रंग का पर्दा होगा जो माँ का प्रतीक है ! शंकराचार्य मान गए और परदे के दूसरी तरफ माँ भगवती स्वयं शास्त्रार्थ करने लगी ! अपने भक्त की रक्षा के लिए माँ स्वयं ढाल बनकर कड़ी हो गयी और शंकराचार्य पराजित हो गए ! आज भी कामख्या में माँ को बलि चढ़ाई जाती है !

इस साधना को करने के बाद आप अपने शत्रुओं का स्तम्भन कर सकते है ! यह साधना बहुत सरल है इस साधना से शत्रु की गतिविधिया रुक जाती है और वह पराजित हो जाता है !

|| मन्त्र ||
नमो नमो नमो चामुण्डा माई
कालिया भैरूआ सुकिया समुकिया
इन्ही वैरी बला को बांध,
बांध याकु मुख बांध चित बांध
बुद्धि बांध हाथ बांध पांव बांध
चिरा चिरमिरी बांध,
आँख नाक कांख अंग अंग बांध
जो बांधे तो चमार को चमरोद
चंडाली की कुण्डी में गिर,
लोना चमारी की अरज
सौ सौ महाकाल की आन,
अलख निरंजन फु फु करे
मेरो वैरी को वैर जरे,
मन्त्र सांचा पिंड काचा गुरु की शक्ति
!

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विधि ||
इस मन्त्र को नवरात्रों में शुरू करे रात्रि 10 बजे के बाद माँ का पूजन करे और फिर गुरुमंत्र की एक माला जाप करे और फिर इस मन्त्र की एक माला जपे अंत में दोबारा गुरुमंत्र की एक माला जपे ! ऐसा नवरात्रों में नवमी तिथि तक करे और माँ को नारीयल और श्रृंगार का सामान भेंट करे और कम से कम एक कन्या का पूजन कर उसे भोजन और दक्षिणा दे !

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प्रयोग ||
जब प्रयोग करना हो तो इस मन्त्र को जपकर शत्रु की तरफ फूक मार दे, शत्रु सम्बंधित हो जायेगा !
माँ जगदम्बा आप सबकी मनोकामना पूर्ण करे..................... !


जय सदगुरुदेव................!!

1 comments so far

Sat shri akaal nath ji , kirpa kr k meri shanka da nivaran kro mere guru da ajj dehaant ho gya hai .. te ohna nal koi vichaar gal baat v nahi c meri hoyi .. te raat meinu sade pind wale dere da sufna aayea c .. othe mein bhagwe kapdea vale saadhua nu bhagti krde dekhea c .. te meinu smjh nahi aa rahi v hun hou ga ki .. mein tan ek-2 gal apne guru nu puchh k kri c life ch .. hun direction kaun deu .. mnn de aa v shreer naashvaan hai par fr v hun meri jindgi nu direction den wala kaun hou aah smjh nahi aaunda ������


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