मै जब छोटा था तो सदगुरुदेव सिद्ध रक्खा रामजी मुझे कहानियाँ सुनाकर समझाया करते थे! एक बार मैने एक आदमी जो गंदे कपड़ो में था उसे देखकर थूक दिया! जब मै सदगुरुदेव के पास पंहुचा तो सदगुरुदेव ने कहा बहुत बड़ा हो गया है तू अब संतो को देखकर थूकने लगा! मै मन में सोचने लगा कि मैने ऐसे किस संत को देखकर थूक दिया! सिद्ध रक्खा रामजी ने कहा उस अघोरी को देख कर थूका था जिसने गंदे कपडे पहने थे! मै मन में सोचने लगा मुझसे तो महापाप हो गया!
उस वक़्त गुरुदेव ने कहा एक बार की बात है दुर्योधन ने दरोनाचार्य से कहा आप युधिष्ठर को धर्मराज कहते है मुझे धर्मराज क्यों नहीं कहते? यह सुनकर द्रोणाचार्य ने युधिष्ठर को बुलाया और कहा जाओ सारे नगर में घूमकर आओ और कोई ऐसा इन्सान ढूँढकर लाओ जिसमे कोई गुण ही न हो! फिर द्रोणाचार्य ने दुर्योधन से कहा तुम भी जाओ और कोई ऐसा इन्सान ढूँढकर लाओ जिसमे कोई अवगुण न हो! यह सुनकर दोनों अपने अपने रस्ते चले गए! कुछ समय बाद दोनों खाली हाथ लौट आये! द्रोणाचार्य ने पहले दुर्योधन से पूछा कोई ऐसा इन्सान मिला जिसमे कोई अवगुण न हो दुर्योधन ने कहा नहीं गुरुदेव सब में कोई न कोई अवगुण है! फिर द्रोणाचार्य ने युधिष्ठर से पूछा कोई ऐसा इंसान मिला जिसमे कोई गुण ही न हो युधिष्ठर ने कहा गुरुदेव इंसान तो क्या प्रत्येक जानवर और पेड़ पौधों में भी कोई न कोई गुण है! प्रत्येक बुरी वस्तु में कोई न कोई अच्छा गुण है! यह सुनकर द्रोणाचार्य ने कहा यह फर्क है दुर्योधन तुम केवल अवगुण देखते हो और युधिष्ठर केवल गुण देखता है इसलिए मै युधिष्ठर को धर्मराज कहता हूँ! मै परम सिद्ध रक्खा रामजी का अर्थ समझ गया और इस कथा को जीवन में उतारने लगा! इसी प्रकार कुछ लोग केवल महापंडित रावण के अवगुण देखते है पर वो बहुत बड़े तपस्वी थे वेदों के ज्ञाता थे और ज्योतिष और तंत्र के भी बहुत बड़े आचार्य थे पर लोग केवल उनके अवगुण देखते है! उनकी रावण सहिंता का ही एक रूप लाल किताब है जिसके द्वारा आप अपनी जन्म कुंडली के इलाज बड़ी आसानी से कर सकते हो!
मै किसी ज्योतिष पद्दति के खिलाफ नहीं हूँ पर लाल किताब के उपाय बहुत सरल और चमत्कारी है! लाल किताब के द्वारा आप किसी भी ग्रह को किसी दुसरे भाव में पंहुचा सकते है!उदहारण के लिए जब रामचंद्र जी सीता माता के स्वयंवर में गए तो वहां रावण भी था! रावण धनुष नहीं उठा पाया था! रावण ने रामजी को देखते ही पहचान लिया था! रावण ने सोचा मैने तो आत्मा का साक्षात्कार किया है पर यह तो आत्मा की भी आत्मा है यह तो परमात्मा है! रावण ने रामजी से कहा आप मेरी लंका में दर्शन देने जरूर आना पर परमात्मा रामचंद्र जी ने कहा मै विश्वामित्र जी की सेवा में रहता हूँ नहीं आ सकता! यह सुनकर रावण ने राम जी से कहा अच्छा तू तो मुझे दर दर खोजेगा और पेड़ पत्तो से भी मेरा पता पूछेगा! इतना कह कर लंकापति रावण चले गए और परमात्मा रामचंद्र जी के सातवे भाव में बैठे उच्च के मंगल को ख़राब कर दिया! सातवाँ भाव पत्नी का होता है! रामचंद्र जी की पत्नी सीता माता ने विवाह के बाद सुख नहीं भोगा! पहले रामजी के साथ बनवास भोगा फिर धोबी के कहने से वाल्मीकि जी के आश्रम में रही!
एक बार लंकापति रावण सूर्य से मिलने गए उस समय सूर्य देव के सारथी ने उन्हें एक किताब दी जो आगे चलकर लाल किताब के रूप में मशहूर हुयी! आज रावण की विद्या से लाखो लोगो का भला हो रहा है! फिर भी कुछ लोग रावण की निंदा ही करते है क्योंकि उन्हें दुर्योधन की तरह केवल रावण के अवगुण ही नजर आते है!जिसकी बुद्धि गधे जैसी होती है उसे सारा संसार गधा नजर आता है, क्योंकि उनके मन और मस्तिष्क में गधा ही निवास करता है! इस संसार में कोई भी चीज़ बुरी नहीं होती इसलिए कबीर जी लिखते है:-
बुरा जो खोजन मै चला बुरा न लब्या कोए
जब मन अपना खोजया तो मुझसे बुरा न कोय!
इसी बात को बाबा नानक जी कुछ इस प्रकार लिखते है:-
'हम नहीं चंगे बुरा नहीं कोई'
जब हम बुरे होते है तो हमें सारा संसार बुरा नज़र आता है और जब हम गधे होते है तो हमें सारा संसार गधा नज़र आता है!रावण महान थे और उनकी विद्या भी महान है जो जन कल्याण के लिए उत्तम है! पर कुछ लोग धन कमाने के लिए इस विद्या का दुरूपयोग करते है और लाल किताब के नाम पर दुकान चलाते है! ऐसे लोगो का मानना है:-
यदि कौआ मोर के पंख लगा ले तो मोर नहीं बन जाता
और यदि मोर के पंख झड जाये तो भी मोर ही रहता है!
इस प्रकार के मोरो की वजह से ही वेद का तीसरा नेत्र कहे जाने वाले ज्योतिष और तंत्र की निन्दा होती है! ऐसे मोर लोगो को भ्रमित करने के सिवा और कुछ नहीं जानते! मै सदगुरुदेव सिद्ध श्री रक्खा रामजी की सिखाई हुई विद्या को जनकल्याण के लिए आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ और मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस विद्या से आप सबका कल्याण होगा! आने वाली पोस्ट में हम यह चर्चा करेंगे किस प्रकार होता है कालसर्प योग का इलाज एक आसान टोटके से किस प्रकार होता है गंडमूल का इलाज! उदहारण के लिए एक जन्म कुंडली में बुध ग्रह चंद्रमा के मिल जाने से ख़राब हो गए थे! इसका असर उस व्यक्ति के व्यापार पर पड़ रहा था! मैने उस व्यक्ति से कहा चांदी की बिलकुल छोटी सी कटोरी में पारा डालकर अच्छे से हिलाओ और धीरे से बहते हुए पानी में छोड़ दो! उस व्यक्ति ने यह उपाय किया! इस उपाय से उसका व्यापार चलने लगा! मैंने केवल बुध और चंद्रमा की लड़ाई करवा दी मतलब बुध रुपी पारा और चन्द्र रुपी चांदी को मिला दिया! इसी प्रकार बहुत सरल इलाज है जो निश्चित तौर पर जनकल्याण के काम आएंगे!
जय सदगुरुदेव!
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