आज आप सबके साथ सदगुरुदेव सिद्ध रक्खा रामजी की सुनाई हुई कहानी आपके साथ शेयर करना चाहता हूँ!एक बार मैंने गुरूजी से कहा मुझसे रोज रोज जप नहीं होता क्या आप मुझे एक हफ्ते में करामाती नहीं बना सकते! उन्होंने मुझसे कहा करामाती तो मै तुम्हे बना दूंगा पर पहले तुम्हे शिवाजी जैसा बनना होगा!
मैंने कहा शिवाजी तो मराठा राजा थे, उनका क्या लेना देना है सिद्धियों से! गुरुदेव ने कहा मराठा राजा शिवाजी
समर्थ रामदास जी के शिष्य थे! वे बहुत बड़े योद्धा थे अपने शत्रुओं पर आक्रमण करते और जब शत्रु हावी हो
पहुच गए , उन्हें वहां एक बूढी औरत मिली उस औरत ने शिवाजी से पूछा बेटा तुम कौन हो? शिवाजी ने कहा माताजी राहगीर हूँ रास्ता भटक गया हूँ! वे बूढी बोली बेटा आज रात हमारे पास रुक जाओ कल चले जाना! शिवाजी रात को उस बूढी माँ के पास रुक गए! बूढी माता ने उन्हें खाने के लिए खीर दी, खीर गर्म थी और शिवाजी को बहुत भूख लगी थी! शिवाजी ने जब गर्म गर्म खीर मुँह में डाली तो उनका मुँह जल गया और मुँह से चीख निकल गयी! शिवाजी की चीख सुनकर बूढी बोली बेटा क्या हुआ? शिवाजी बोले कुछ नहीं माँ , मुँह जल गया! यह सुनकर वो बूढी बोली तू भी बिलकुल शिवाजी जैसा है! जब शिवाजी ने यह बात सुनी तो वो खाना पीना सब भूल गया और सोचने लगा यह बूढी जरूर शिवाजी के बारे में कुछ खास बात जानती है! शिवाजी ने उस बूढी से कहा माँ शिवाजी और मुझमे क्या समानता है! उस बूढी ने कहा तुम भी बीच की खीर खाना चाहते हो और शिवाजी भी सीधा किले पर आक्रमण करता है और उसे भागना पड़ता है,अगर वो किले की घेरा बंदी करले और धीरे धीरे आसपास का इलाका जीतकर आगे बढे तो वो किला जीत जायेगा! ठीक उसी तरह तुम भी पहले खीर को अच्छी तरह फैला लो और फिर पहले आसपास की खीर खाओ और फिर बीच की खीर खाओ! दुसरे दिन शिवाजी वहां से चले गए और उन्होंने किले की घेरा बंदी की और जीत गए! गुरूजी ने कहा तुम भी गरम खीर खाना चाहते हो! मै गुरूजी की बात समझ गया! आज ग्रुप के मेरे बहुत से भाई मेरी तरह ही बीच वाली खीर खाना चाहते है! एक दिन में ही सिद्ध बनना चाहते है! यदि ऐसा संभव होता तो हमारे ऋषि मुनि वर्षो तपस्या क्यों करते!
जय सदगुरुदेव!
CommentComment