महापंडित रावण जैसे ज्ञानी कौन हो सकते है?यहाँ उन्हें चार वेदों का ज्ञान था वहीँ उन्हें ज्योतिष का भी बहुत अच्छा ज्ञान था!उनकी विद्या महान थी,उनकी महान विद्या से ही लाल किताब की रचना हुयी!हवाई ज्योतिष और नाड़ी ज्योतिष उनकी विद्या का एक अंश मात्र है!मै यह मान सकता हूँ कि उन्होंने जीवन भर साधू संतो और ब्राह्मणों को तंग किया,किन्तु महापंडित रावण जी के बैकुण्ठ जाने के बाद उनकी यह विद्या इन सबका कल्याण कर रही है!यहाँ वैदिक ज्योतिष में बड़े बड़े हवन आदि करने पड़ते है वहीँ रावण जी के तांत्रिक टोटके उस समस्या को कुछ ही दिनों में नष्ट कर देते है!हमारे ज्योतिष शास्त्रों ने चंद्रमा को चौथे घर का कारक माना है!यह कर्क राशी का स्वामी है!चन्द्र ग्रह से वाहन का सुख सम्पति का सुख विशेष रूप से माता और दादी का सुख और घर का रूपया पैसा और मकान आदि सुख देखा जाता है!चंद्रमा दुसरे भाव में शुभ फल देता है और अष्टम भाव में अशुभ फल देता है!चन्द्र ग्रह वृषव राशी में उच्च और वृश्चक राशी में नीच का होता है!जन्म कुंडली में यदि चन्द्र राहू या केतु के साथ आ जाये तो वे शुभ फल नहीं देता! ज्योतिष ने इसे चन्द्र ग्रहण माना है,यदि जन्म कुंडली में ऐसा योग हो तो चंद्रमा से सम्बंधित सभी फल नष्ट हो जाते है माता को कष्ट मिलता है घर में शांति का वातावरण नहीं रहता जमीन और मकान सम्बन्धी समस्या आती है!मै यहाँ चन्द्र ग्रहण का एक आसान उपाय बता रहा हूँ इसे ग्रहण काल के मध्य में करे!
उपाय :::- 1 किलो जौ दूध में धोकर और एक सुखा नारियल चलते पानी में वहाये और 1 किलो चावल मंदिर में चढ़ादे! अगर चन्द्र राहू के साथ है और यदि चन्द्र केतु के साथ है तो चूना पत्थर ले उसे एक भूरे कपडे में बांध कर पानी में वहादे और एक लाल तिकोना झंडा किसी मंदिर में चढ़ादे!
ईश्वर कि कृपा से यह दोष नष्ट हो जायेगा!
जय सदगुरुदेव!
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