Thursday, 20 October 2016

ज्योतिष संजीवनी 7

आप लोगो ने अक्सर एक शब्द सुना होगा काल सर्पयोग!इस काल सर्पयोग ने उजड़े हुए पंडितो को
करोड़पति बना दिया!पंडितजी हर किसी को डरा देते है आपकी कुंडली में तो काल सर्पयोग है!इस योग
का नाम सुनते ही अच्छे भले व्यक्ति का जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है!इस पर पंडितजी कह देते है 
भाई इसके उपाय पर तो २५००० रुपये का खर्चा होगा!यह सुनकर तो व्यक्ति के होश उड़ जाते है!जो 
समर्थ होता है वो इसका उपाय करवा लेता है पर जो असमर्थ होता है वो अंदर ही अंदर मन मसोस कर
रह जाता है!काल सर्पयोग से जितना लोग डरते है उतना डरने की कोई बात नहीं क्योंकि काल सर्पयोग
सदैव बुरा फल नहीं देता!सबसे पहले यह जानते है की काल सर्पयोग है क्या?काल सर्पयोग 12 प्रकार का होता है!

1.
अनंत कालसर्पयोग :- यदि राहू प्रथम भाव में हो और केतु सातवे भाव में और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो
अनंत काल सर्पयोग होता है!
2.कूलिक काल सर्पयोग:-यदि राहू दुसरे भाव में हो और केतु अष्टम भाव में हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो कूलिक काल सर्पयोग होता है!
3.वासुकी काल सर्पयोग:-यदि राहू तीसरे भाव में हो और केतु नवम भाव में हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो वासुकी काल सर्पयोग होता है!
4.शंखपाल काल सर्पयोग:-यदि राहू चौथे और केतु अष्टम भाव में हो हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो शंखपाल काल सर्पयोग होता है!
5.पदम् काल सर्पयोग:-यदि पंचम स्थान में राहू और एकादश भाव में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो पदम् काल सर्प योग होता है!
6.महापद्म काल सर्पयोग:-यदि छठे भाव में राहू और बारवे भाव में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो महापद्म काल सर्पयोग होता है!
7.तक्षक काल सर्पयोग:-यदि सातवे भाव में राहू और लगन में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो तक्षक काल सर्पयोग होता है!
8.कर्कोटक काल सर्पयोग:-यदि अष्टम भाव में राहू और दुसरे भाव में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो कर्कोटक काल सर्पयोग होता है!
9.शंखचूड़ काल सर्पयोग:-यदि राहू नवम भाव में और केतु तीसरे भाव में हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो शंखचूड़ काल सर्पयोग होता है!
10.घातक काल सर्पयोग:-यदि राहू दशम भाव में हो और केतु चौथे भाव में हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो घातक काल सर्पयोग होता है!
11.विषधर काल सर्पयोग:-यदि एकादश भाव में राहू और पंचम भाव में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो विषधर काल सर्पयोग होता है!
12.शेषनाग काल सर्पयोग:-यदि बारवे भाव में राहू और छठे भाव में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो शेषनाग काल सर्पयोग होता है!

प्रत्येक काल सर्पयोग के अपने लाभ और नुकसान है!यहाँ पर पूरा विवरण देना बात को लम्बा खींचना होगा,सीधी बात यह है कि काल सर्पयोग का प्रयोग करके अनपढ़ पंडित भी प्रसिद्द हो गए है!काल सर्पयोग से किसी का भला हो या  हो पर पाखंडी ब्राह्मणों के आलिशान मकान जरूर खड़े हो गए है!काल सर्पयोग का उपाय बहुत सरल है!मान लीजिये पहले घर में राहू और सातवे घर में केतु है और बाकि सभी ग्रह दुसरे से लेकर पंचम भाव में बैठे है तो यह अनंत काल सर्पयोग है!अब यदि किसी ग्रह जैसे मंगल या शनि की स्थापना दशम भाव में कर दी जाये तो काल सर्पयोग खंडित हो जाता है,पर यह उपाय बहुत लम्बा है
इसलिए आपको सरल उपाय बता रहा हूँ!

उपाय:-
एक कांसे की कटोरी ले उसमे देसी घी में बना हलवा डाल दे और दो चांदी के सांप डाल दे और सरसों का तेल भी डाल दे और अपने सिर से सात बार उसार ले और किसी शनि मंदिर में रख आये!यह उपाय आपको तीन महीने में तीन बार करना हैमतलब महीने में एक बार इससे किसी भी प्रकार का काल सर्पयोग हो शांत हो जाता है और शुभ फल की प्राप्ति होती हैमैंने इस उपाय को कई बार आजमाया है!आप भी इसका लाभ उठाये!उपाय करते वक़्त एक ध्यान रखे शनिदेव के चरणों की तरफ देखे आँखों की तरफ भूल कर भी देखे

जय सदगुरुदेव!

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