द्वादश भाव से शैया का सुख देखा जाता है ! यह देखा गया है कि जब राहू द्वादश भाव में होता है तो पति पत्नी के सम्बन्ध बिगड़ जाते है और व्यक्ति शक्की मिजाज हो जाता है ! द्वादश भाव में बैठा राहू प्रेत बाधा देता है ! राहू से पीड़ित व्यक्ति को यह वहम रहता है कि कोई मेरे खिलाफ षड़यंत्र रच रहा है अथवा किसी ने मेरे ऊपर तंत्र प्रयोग कर दिया है !
राहू के द्वादश भाव में होने पर व्यक्ति का खर्चा बहुत अधिक बढ़ जाता है और यह खर्चा शुभ कामों से अधिक अशुभ कामों में होता है ! व्यक्ति की आय से अधिक खर्चा होने के कारण वह दुखी रहने लगता है और व्यक्ति मानसिक रूप से दुखी रहता है !
लाल किताब में द्वादश भाव के राहू के विषय में लिखा गया है -
छेवे राहू इंद्र धनुष था
बारहवा में वो धुआ है
लकड़ी मीठी पौन भी मीठी
असर मगर अब बुरा ही है
अर्थात – राहू जब बारवे भाव में आता है तो लकड़ी यानी शनि और पौन यानी बृहस्पति दोनों का फल खराब कर देता है !
राहू द्वादश भाव में जलती हुई आग का धुआं ना होकर बुझी हुई आग का धुआं होता है ! यदि ऐसे में मंगल अष्टम या द्वादश भाव में आ जाएँ तो राहू का बुरा फल खत्म हो जाता है क्योंकि अष्टम भाव में यदि मंगल आ जाएँ तो अग्नि (मंगल) नीचे और धुआं (राहू) आकाश में पहुँच जाता है ! मंगल को लाल किताब ने महावत माना है और राहू को हाथी कहा गया है ! लाल किताब के अनुसार -
मंगल भी घर बारा होवे
राहू ख़त्म हो जाता है
हाथी महावत दोने मिलते
सामान शाही हो जाता है…
|| उपाए ||
यदि आपकी कुंडली में भी राहू द्वादश भाव में है तो ऐसे में आप एक ताम्बे का तिकोना टुकड़ा अपनी छत पर स्थापित कर दे क्योंकि छत द्वादश भाव होती है और तांबा मंगल होता है ! ऐसा करने से राहू के सिर पर मंगल स्थापित हो जायेगा और राहू अपना बुरा फल छोड़ देगा ! यदि किसी कारणवश ताम्बे का तिकोना टुकड़ा भी ना मिले तो चीनी की खाली बोरी अपनी छत पर बिछा दे क्योंकि मीठी वस्तु मंगल कही जाती है और चीनी के संग से बोरी में मंगल का प्रभाव आ जाता है !
ईश्वर आपका जीवन मंगलमय करे !!
जय सदगुरुदेव….!!
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