नाथ पंथ में जब किसी की दीक्षा होती है तो गुरु आज्ञा देते है कि १२ साल तक रम्मत करो मतलब तीरथो का भ्रमण करो पर कुछ ऐसे शिष्य भी होते है जिन्हें गुरुदेव कह देते है कि अपने लिए डेरे की स्थापना करो !
जो डेरे में रहते है उन्हें गुरुदेव कहते है कि १२ वर्ष क शरीर पर भस्म रमाओ!जो शिष्यभ्रमण करते है उनका नियम होता है हररोज रम्मत गायत्री का जप करना और गुरुमंत्र का जप करना! रम्मत साधू इसके साथ साथ पर्व काल का विशेष ध्यान रखते है क्योंकि उन पर्वो पर उन्हें केवल जपमात्र से ही सिद्धि मिल जाती है! रम्मत करने का अर्थ है मोह माया का त्याग करना मतलब गुरु गोरखनाथ जी कहते है " बहता पानी और रमता योगी ही सिद्ध है "! जिस प्रकार एक स्थान पर रुकने से पानी गन्दा हो जाता है उसी प्रकार एक स्थान पर रुकने से उस स्थान से मोह हो जाता है! आज मै जो मन्त्र आपके सामने रख रहा हूँ यह मन्त्र गुरुदेव जी ने रम्मत करते हुए सिद्ध किया था! इस मन्त्र का प्रभाव बड़ा विचित्र है! इस मन्त्र के प्रयोग से आप बड़ी से बड़ी तांत्रिक बाधा का निवारण कर सकते है! इस मन्त्र के सिद्ध होने के बाद आपके शत्रु आपके समक्ष टिक भी नहीं पायेगे क्योंकि यह मन्त्र अपना प्रभाव तुरंत दिखाता है! साबर मन्त्र कई प्रकार के होते है पर इनमे मुख्य ४ है!
१.प्रबल साबर
२.बर्भर
३.वराटी
४.डार
यह एक बर्भर साबर मन्त्र है! बर्भर साबर मंत्रो में देवता को धमकी और अपशब्द कहे जाते है यहाँ तक की धमकी भी दी जाती है और गन्दी गालीयाँ भी ,पर फिर भी यह मन्त्र अपना पूर्ण प्रभाव दिखाते है! इस मन्त्र का प्रयोग यदि शत्रु पर कर दिया जाये तो शत्रु की हालत ख़राब हो जाती है केवल शर्भ मन्त्र का जानकार ही इस मन्त्र के प्रभाव को खत्म कर सकता है! इस मन्त्र को मैने जब सिद्ध किया तो इसका प्रयोग मैने एक तांत्रिक पर किया उस तांत्रीक को अपने आप पर बहुत घमंड था! मेरे पहली बार प्रयोग करने पर ही उस तांत्रिक का एक्सिडेंट हो गया दोबारा मैंने कभी इस मन्त्र का प्रयोग नहीं किया! इस मन्त्र को लिखने से पहले एक बात कहना चाहूँगा! एक लड़के को कोई लड़की छोड़कर चली गयी और वो उस लड़की के गम में आधा पागल हो गया है! अपने आपको श्रेष्ठ तांत्रिक कहता था पर होनी के आगे उसका जोर नहीं चला! जिस प्रकार जल में रहने वाले सभी मगमच्छ नहीं होते! पुरी में रहने वाले सभी मुक्ति के अधिकारी नहीं होते! काशी में रहने वाले सभी पण्डित नहीं होते और सदैव शांत रहने वाला गूंगा नहीं होता! विनम्रता से बात करने वाला कायर नहीं होता ठीक उसी प्रकार दो चार मन्त्र सीख लेने से कोई ज्ञानी नहीं होता! उस लड़के का दिमाग इतना ख़राब हो गया की वो वामाचार की निंदा करने लगा और कहने लगा egg chicken खाने वाले देवी देवता किसी का क्या भला कर सकते है! ऐसे कुछ पागलो की वजह से ही तंत्र कलंकित होता है,पर मुझे फिर भी उस व्यक्ति पर दया आती है! मेरा मानना है बलि तो देवी काली भी लेती है! पञ्च मकार पूजन के बिना तो वामाचार की सिद्धि ही नहीं होती! पशुपतिनाथ को भी बलि दी जाती है! तारा देवी को भी बलि दी जाती है! यदि वामाचार बुरा होता और यदि तंत्र में बलि देना बुरा होता तो भगवान शिव कभी तंत्र की रचना ही नहीं करते! वास्तव में कभी भी बकरे की बलि नहीं दी जाती बकरे की बलि के साथ मै रुपी अहंकार की बलि दी जाती है! आप सोच रहे होंगे मै यह बलि की रामकहानी आपको क्यों बता रहा हूँ! मै यह इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि इस नरसिंह मन्त्र में आपको दो मछलियो की बलि देनी पड़ेगी! वैसे तो पूर्ण मन्त्र की सिद्धि ४१ दिन की क्रिया है! पर नरसिंह जयंती पर यह मन्त्र एक दिन में ही जागृत हो जाता है पर पूर्ण प्रभाव के लिए ४१ दिन जपना पड़ता है! यदि कोई साधु रम्मत करता हो या प्रतिदिन भस्म रमाता हो तो उसे यह सिद्धि एक ही दिन में मिल जाती है! इस मन्त्र में भगवान नरसिंह स्वयं आते है और प्रत्यक्ष दर्शन देते है! मन्त्र इस प्रकार है!
२.बर्भर
३.वराटी
४.डार
यह एक बर्भर साबर मन्त्र है! बर्भर साबर मंत्रो में देवता को धमकी और अपशब्द कहे जाते है यहाँ तक की धमकी भी दी जाती है और गन्दी गालीयाँ भी ,पर फिर भी यह मन्त्र अपना पूर्ण प्रभाव दिखाते है! इस मन्त्र का प्रयोग यदि शत्रु पर कर दिया जाये तो शत्रु की हालत ख़राब हो जाती है केवल शर्भ मन्त्र का जानकार ही इस मन्त्र के प्रभाव को खत्म कर सकता है! इस मन्त्र को मैने जब सिद्ध किया तो इसका प्रयोग मैने एक तांत्रिक पर किया उस तांत्रीक को अपने आप पर बहुत घमंड था! मेरे पहली बार प्रयोग करने पर ही उस तांत्रिक का एक्सिडेंट हो गया दोबारा मैंने कभी इस मन्त्र का प्रयोग नहीं किया! इस मन्त्र को लिखने से पहले एक बात कहना चाहूँगा! एक लड़के को कोई लड़की छोड़कर चली गयी और वो उस लड़की के गम में आधा पागल हो गया है! अपने आपको श्रेष्ठ तांत्रिक कहता था पर होनी के आगे उसका जोर नहीं चला! जिस प्रकार जल में रहने वाले सभी मगमच्छ नहीं होते! पुरी में रहने वाले सभी मुक्ति के अधिकारी नहीं होते! काशी में रहने वाले सभी पण्डित नहीं होते और सदैव शांत रहने वाला गूंगा नहीं होता! विनम्रता से बात करने वाला कायर नहीं होता ठीक उसी प्रकार दो चार मन्त्र सीख लेने से कोई ज्ञानी नहीं होता! उस लड़के का दिमाग इतना ख़राब हो गया की वो वामाचार की निंदा करने लगा और कहने लगा egg chicken खाने वाले देवी देवता किसी का क्या भला कर सकते है! ऐसे कुछ पागलो की वजह से ही तंत्र कलंकित होता है,पर मुझे फिर भी उस व्यक्ति पर दया आती है! मेरा मानना है बलि तो देवी काली भी लेती है! पञ्च मकार पूजन के बिना तो वामाचार की सिद्धि ही नहीं होती! पशुपतिनाथ को भी बलि दी जाती है! तारा देवी को भी बलि दी जाती है! यदि वामाचार बुरा होता और यदि तंत्र में बलि देना बुरा होता तो भगवान शिव कभी तंत्र की रचना ही नहीं करते! वास्तव में कभी भी बकरे की बलि नहीं दी जाती बकरे की बलि के साथ मै रुपी अहंकार की बलि दी जाती है! आप सोच रहे होंगे मै यह बलि की रामकहानी आपको क्यों बता रहा हूँ! मै यह इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि इस नरसिंह मन्त्र में आपको दो मछलियो की बलि देनी पड़ेगी! वैसे तो पूर्ण मन्त्र की सिद्धि ४१ दिन की क्रिया है! पर नरसिंह जयंती पर यह मन्त्र एक दिन में ही जागृत हो जाता है पर पूर्ण प्रभाव के लिए ४१ दिन जपना पड़ता है! यदि कोई साधु रम्मत करता हो या प्रतिदिन भस्म रमाता हो तो उसे यह सिद्धि एक ही दिन में मिल जाती है! इस मन्त्र में भगवान नरसिंह स्वयं आते है और प्रत्यक्ष दर्शन देते है! मन्त्र इस प्रकार है!
मन्त्र::-
ॐ नमो आदेश श्री गुरूजी को!
नरसिंह वीर महा बलवीर
मारे वैरी पकड़ के सिर
मेरा भेजा जाये कहा काम करके आये
न आये तो द्वादश ज्योतिर्लिंग तोडके आये!
मेरा भेजा पीछे मुड़े तो मुड मेरा कम सवारे
बिना काम किये आये तो भक्त प्रह्लाद का कलेजा खाए!
मेरा बुलाया न आये तो शिवजी का तीजा नेत्र फोडके आये!
शीघ्र आव नरसिंह महाराज ना आओ तो शर्भेश्वर देव के लाज!
चले मन्त्र फुरे वाचा देखां नरसिंह देव तेरे ईलम का तमाशा!
दुहाई गुरु गोरखनाथ की!
विधि::- एक तेल का दीपक जलाये और अपने सामने दो साबुत मछली रखले! उस मछली का पेट कटवा के अच्छी तरह साफ़ करवा ले और गोबर के कंडे पर गूगल सुलगाते रहे और थोड़ी सी मछली तोड़कर अग्नि में आहुति दे और अधिक से अधिक इस मन्त्र का जप करे! सूर्योदय तक जप करने से इस मन्त्र की सिद्धि हो जाएगी! यदि जप करते हुए थक जाये तो थोडा आराम कर ले पर आसन ना छोड़े! दूसरे दिन सारी सामग्री किसी जंगल में रख आये!
प्रयोग विधि::- जब प्रयोग करना हो तो अपने कार्य का धयान करते हुए इस मन्त्र को एक घंटा जपे और गूगल अग्नि पर सुलघाते रहे और ठीक उसी प्रकार मछली की आहुति दे और सारा सामान किसी निर्जन स्थान पर रख दे और भगवान नरसिंह से कार्य करने की प्रार्थना करे! आपका कार्य निश्चित रूप से हो जायेगा! विधि और मन्त्र में फेर बदल ना करे! ऐसा करने पर सिद्धि नहीं मिलेगी! मेरी यह साधना अनुभूत है और गुरु शिष्य परम्परा से प्राप्त हुयी है! आप एक बार जरूर करे आपके अंदर गजब का आत्मविश्वास आ जायेगा!
जय सदगुरुदेव!
7 comments
Is mantra ko narsingh jayanti ke alawa agar 41 din ki sadhna krni hain to kya narsingh jayanti ko start karna jaruri hain ya kisi bhi din se kar lein...
Bhai ji iss mntr ko surey oudye hone tk pdne pr iss mntr ki shiddi ek deen m ho jyege ya pure 41 deen jaap krna hoga or ese agr 41 deen krna h to km se km kitne smye tk jaapna hoga or isme shuraksha gere ki jrurt hoge
M iss shadna ko krna chata hu pkka mnn bna rkha h ane vali narshing jayanti ko krunga iss leye jld se jld btaye plz
Bhai ji pkka nrshing ji K darshn Ho jayenge
Bhai ji mujhe iss shadna ke bare m kuch bhut important chiz puchne h pls mere Whataap No pr btaye plz plz plz mera no. 8510072584 plz contact me plz
Aap meri help Kar sate he kiya bhaut jaruri baat he please call Kare no 8630778001 mere ghar ma bibrar saber mantra ki Samasya he please t madad kare
Vadiya
इसमे मिड मेरा कम सवारे है या मुड़ मेरा काम सवारे और क्या यह साधना घर मे कर सकते है या बाहर करनी है और आपने लिखा कि नरसिंह जयंती पर 1 रात में सिद्ध हो जाता है लेकिन पूर्ण प्रभाव के लिए 41 दिन जपना पड़ता है लेकिन विधि में आपने लिखा कि केबल 1 रात में सिद्धि मिल जाएगी बताइये आप लोग कमैंट्स का जवाब क्यों नही देते है
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