Friday, 21 October 2016

विष्णुसागर मन्त्र साधना


सिद्ध रक्खा रामजी ने अपना सारा जीवन अध्यातम को समर्पित कर दिया और वे बड़ी दुर्लभ विद्याओ के ज्ञाता थेउनके पास बड़े बड़े पंडित और साधू भी ज्ञान लेने आते थेयह उनकी प्रचंड भक्ति का फल थाएक बार एक सन्यासी उनके पास बैठे थे और भगवान विष्णु की कथा शुरू हो गयीमै भी वही बैठा कथा का आनंद ले रहा था, तभी वहां एक व्यक्ति आया और कहने लगा बाबाजी कथा तो आपने बहुत बार सुनाई है


पर असली ज्ञान हर बार छुपा लेते होमै उस व्यक्ति की बात सुनकर हैरान हो गया की ऐसा कौनसा ज्ञान है जो हर बार छुपा ही रह जाता हैसिद्ध रक्खा रामजी ने कहा किस ज्ञान की बात कर रहे होवह  व्यक्ति बोला गुरूजी आप तो बहुत बड़े ज्ञानी है, सब जानते है मै क्या कह रहा हूँ ? सिद्ध रक्खा रामजी ने फिर कहा अरे भाई बताओ तो सही किस विषय पर बात कर रहे हो?यह सुनकर उस व्यक्ति ने कहा महाराज मै विष्णु सागर मन्त्र के सात शलोको की बात कर रहा हूँ जिनके बारे मै कहा जाता है कि उनकी गहराई सात सागरों से भी अधिक हैमै उनकी बात बड़े ध्यान से सुन रहा थातभी सिद्ध रक्खा रामजी ने हँसते हुए कहा चिंता करो, समय आने पर बता दूंगाएक दो दिन बाद जब मै दोबारा गुरूजी से मिला तो मैंने उसी मन्त्र की चर्चा की और कहा गुरूजी मुझे उस मन्त्र का महत्व बताओउन्होंने कहा इस मन्त्र की जितनी महिमा गाई जाये उतनी ही कम है क्योंकि यह मन्त्र सागर से भी अधिक गहरा हैइस मन्त्र के जप से जो रत्न मिलते है वो समुद्र मंथन से भी नहीं मिल सकतेइस मन्त्र से भगवान विष्णु के दर्शन होते है और माँ लक्ष्मी की प्राप्ति होती हैमैंने कहा गुरूजी मुझे अब तक क्यों नहीं बतायाउन्होंने कहा अब बता देता हूँ पर इसका जप केवल जन्म अष्टमी से शुरू किया जाता हैजब तक इस मन्त्र का जप हो मॉस मदिरा से दूर रहे और लहसुन प्याज़ का इस्तेमाल करेमैंने मन्त्र और विधि उसी समय लिख ली क्योंकि मै सोच रहा था कि कहीं बाद में  गुरूजी मन्त्र देने से मना कर देजब जन्म अष्टमी आई तो मैंने इस मन्त्र का अनुष्ठान किया और मै हैरान रह गयाअनुष्ठान शुरू करने के कुछ दिन बाद मुझे स्वपन में भगवान विष्णु के दर्शन हुए और मै उनके साथ एक नाव में  बैठा जा रहा थामैंने गुरूजी को बताया तो उन्होंने कहा अब इस साधना की जो अनुभूति हो वो मेरे बिना किसी और को मत बताना और साधना पूरी होने के बाद भी इस मन्त्र का प्रतिदिन सात बार जप करते रहनामै आज भी इस मन्त्र का प्रतिदिन सात बार जप अवश्य करता हूँमै अपने गुरुदेव को शत शत नमन करता हूँ, जिन्होंने मुझ जैसे मूर्ख को इस मन्त्र का ज्ञान दिया!

मन्त्र::-
नमो आदेश श्री गुरूजी को!

भक्तो के सब काज सवारे हरि गोविन्द हमारे,
भक्त बचा वैरी को मारे नरसिंह रूप जब धारे,
कष्टों से मैं घिरा हूँ , चरणों में मैं पड़ा हूँ ,
रक्षा कर हो सहाई, तुझे यशोदा मैया की दुहाई !

तू आद है तू अंत है 
तू आद सच तू युगाद सच
तू सच्चिदानंद तू परमानन्द 
तू दयानन्द करुना अवतार 
रक्षा कर हो सहाई तुझे नन्द बाबा की दुहाई!

तू साकार तू निराकार 
जान पाए कोई तेरा आकार 
तू वलियो में वलि
तू बुद्धिमानों का स्वामी 
तेरा है कण कण में वास 
तू मेरा स्वामी मैं तेरा दास, मन में मिलने की है आस   
अब हो हाज़िर दे वरदान 
ना दे तो यशोदा मैया की आन 
रक्षा कर हो सहाई , तुझे देवकी माता की दुहाई !

मच्छ कच्छ हो जल में राख 
वाराह रूप हो थल में राख 
वन नरसिंह वैरी से राख 
नर नारायण हो दे भक्ति मुझे 
परशुराम बन दे शक्ति मुझे 
राम बन दे मुक्ति मुझे 
कृष्ण बन हर थाई हो सहाई 
तुझे वासुदेव की दुहाई !

जब विष था मीरा ने पिया,
तुने विष को अमृत कर दिया 
सन्दीपन का बेटा तुने जिवाया 
ज्यूँ अर्जुन को था कौरवों ने घेरा
त्युं पांच चोरों ने मुझे है घेरा 
रक्षा कर हो सहाई 
तुझे बलराम की दुहाई 

बन मोहिनी तू मोह ले सबको 
हर कोई छुएं मेरे चरणों को 
यूँ राधा को तुने मोहा 
त्यु मैं मोहू सारा संसार 
ना मोह पाऊ तो वृषभानु जाई 
राधा की आन !

तुझे जल में भेजू 
जल में जाएँ 
तुझे थल में भेजू थल में जाएँ 
जहां सिमरू वहाँ आये 
मेरे बिगड़े कार्य बनाएँ 
ना बनाये तो गौ माता की आन 
सोलह हज़ार एक सौ आठ पत्नियो की आन !

||  विधि  ||
जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान कर कृष्ण जी का पूजन करे ! फिर रात्रिकाल में इस मंत्र का १०८ बार जप करे ! ऐसा लगातार १०८ दिन करे ! इन १०८ दिनों में माँस मदिरा एवं लहसुन प्याज का सेवन ना करेपूजा के समय कृष्ण जी की तस्वीर के आगे गाय के घी का दिया जलाएँ ! 

||  प्रयोग  ||
सात बार पढकर किसी भी अच्छे बुरे कार्य पर चले जाएँ , कार्य सिद्ध हो जायेगा ! 
आप सब पर भगवन श्री कृष्ण की कृपा वर्षा हो , इसी कामना के साथ.....

जय सद्गुरुदेव !!


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