वीर भूमि पंजाब में कुछ ऐसे संत हुए है जिनके ज्ञान और भक्ति को देखकर सभी हैरान हो जाते है! लोग इन संतो को भगवान का अवतार ही मानते है! सिख धर्म के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी ने पंजाब की धरती पर जन्म लेकर सारे विशव का कल्याण किया और बाबर जैसे क्रूर शासक को भी ईश्वर की सत्ता का एहसास दिला दिया! उन्होंने जन कल्याण के लिए चीन, तिब्बत, वर्मा, नेपाल और अरब देशो की यात्रा की,कहा जाता है जब वो अरब गए तो मक्का की तरफ पैर करके लेट गए तो वहां के काजी ने कहा आपने मक्का की तरफ पैर किये है! गुरु नानक देव जी ने कहा जिस तरफ मक्का नहीं है तुम मेरे पैर उस तरफ कर दो काजी ने गुरु नानक देव जी के पैर दूसरी दिशा में घुमा दिए!
काजी जिस तरफ गुरु नानक देव जी के पैर घुमाते मक्का भी उसी तरफ घूम जाता तो गुरु नानक देवजी ने कहा भाई पैर चाहे जिस तरफ कर लो ईश्वर तो हर जगह है! गुरु नानक देव जी की शादी पंजाब के जिला बटाला में हुई थी! गुरु नानक देव जी अपनी पत्नी के साथ एक कच्ची दीवार के पास बैठे थे तो उनकी सालीयों ने कहा अगर यह दीवार हम आपके ऊपर गिरा दे तो आपका क्या होगा!
गुरु नानक देव जी ने कहा अब यह दीवार युगों युगों तक इसी तरह खड़ी रहेगी वो दीवार आज भी बटाला में मौजूद है! एक बार बटाला में गुरु नानक देव जी की भेंट योगी चर्पटीनाथ से हुई और दोनों में वाद विवाद हो गया! दोनों में शर्त लग गयी! पहले चर्पटीनाथ ने अपने आप को मच्छर का रूप दे दिया और छुप गए गुरु नानक देव जी ने उन्हें ढूँढ लिया पर जब गुरु नानक देव जी की बारी आई तो उन्होंने अपने आपको पञ्च तत्वों में विलीन कर दिया चर्पटीनाथ उन्हें नहीं ढूँढ पाए और शर्त हार गए! चर्पटीनाथ और उनके साथ के एक योगी ने गुरु नानक देव जी से कहा हम आपके घर पुत्र रूप में जन्म लेंगे,पर कुछ लोगो ने गुरु गोरखनाथ की छवि ख़राब करने के लिए गलत प्रचार किया और मिथक कथा गढ़ ली कि गुरु गोरखनाथ गुरु नानक देव जी से हार गए थे और गुरु नानक देव जी के घर पुत्र रूप में पैदा हुए थे! इसी प्रकार और भी मिथक कथाये प्रचलित है जैसे कि गुरु नानक देव जी ने जब साधुओं को भोजन खिलाया तो उन साधुओं में सतगुरु कबीरजी और सतगुरु रविदास जी भी थे पर यह बात झूठ है क्योंकि गुरु नानक देव जी का जन्म सन 1469 में हुआ था और सतगुरु रविदास जी का जन्म सन 1308 में हुआ था और उन्होंने 120 साल की उम्र में सन 1428 में शरीर का त्याग कर दिया और ब्रह्मलीन हो गए थे! कबीर जी भी रविदास जी के समकालीन ही थे! कबीर जी रविदास जी से भी पहले ब्रह्मलीन हो गए थे!यह कथाये लोगो को भ्रमित करने के लिए रची गयी है! गुरु नानक देव जी के घर दो पुत्रो का जन्म हुआ बड़े पुत्र के रूप में योगी चर्पटीनाथ ने बाबा श्री चन्द्र के रूप में जन्म लिया और उनके सहयोगी संत ने बाबा लक्ष्मी चंद के रूप में अवतार लिया! जब श्री चन्द्र जी का जन्म हुआ तो उनके एक कान में जन्म से ही मास की मुनद्र थी और जन्म के बाद उनके दुसरे कान में भी मुद्रा डाल दी गयी! बाल्यकाल से ही वे प्रभु भक्ति में लीन रहते थे! एक बार गुरु नानक देव जी ने अपने सभी शिष्यों से एक मुर्दे की लाश खाने को कहा,यह बात सुनकर गुरु नानक देव जी के सभी शिष्य भाग गए पर गुरु अंगद देव जी मुर्दे की लाश को बड़े ध्यान से देखने लगे यह देखकर गुरु नानक देव जी ने कहा तुम क्या देख रहे हो तो गुरु अंगद देव जी बोले गुरूजी मै यह सोच रहा हूँ कि इसे किस तरफ से खाना शुरू करू!यह सुनकर गुरु नानक देव जी बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने गुरु गददी गुरु अंगद देव जी को दे दी! जब इस बात का पता बाबा श्री चन्द्र को चला तो उहोने गुरु नानक देव जी से कहा हम आपके घर आये और आपने घर आने का मान भी नहीं रखा!उसके बाद बाबा श्री चन्द्र जी ने उदासीन संप्रदाय की रचना की, आज उत्तर भारत में उदासीन संप्रदाय के अनेको डेरे है! उनके छोटे भाई बाबा लक्ष्मी चंद अपनी पत्नी और बेटे को घोड़े पर बिठाकर घोड़े समेत ही स्वर्ग चले गए! जब बाबा श्री चन्द्र जी ने यह देखा तो हाथ लम्बा करके अपने भतीजे को नीचे उतार लिया और कहा तुम लोग स्वर्ग चले जाओ यह मेरे पास रहेगा! हरिद्वार में जगद्गुरु बाबा श्री चन्द्र जी ने दो अखाड़े स्थापित किये बड़ा अखाडा उन्होंने अपने भाई बाबा लक्ष्मी चंद जी के नाम से स्थापित किया और छोटा आखाडा बाबा श्री चंद जी के नाम से चल रहा है! बड़े आखाड़े में आगे चलकर बाबा वीरमदास जी हुए! वे पंजाब के जिला पटिआला के गाँव विदोशी में रहते थे , वे सदा नग्न रहते थे! उन्होंने अपने पूरे जीवन में कभी वस्त्र धारण नहीं किये थे! उनके बारे में कहा जाता है कि जो उनके दर्शन कर लेता था वो भी संत बन जाता था! वे सदा शराब और बीडी पीते रहते थे! आज भी उस स्थान पर बीडी और शराब चढ़ाई जाती है! बाबा मस्तराम जी, बाबा पूरणदास जी, बाबा संत राम जी और बाबा प्यारा सिंह जी यह सभी बाबा वीरमदास जी के शिष्य थे! बाबा संत राम जी केवल लंगोट लगाते थे! उनका स्थान जिला लुधिआना कि तहसील समराला के गाँव नागरा में है! यह भी अपने गुरु कि तरह बहुत पहुँचे हुए थे! बाबा पूरणदास का स्थान जिला पटिआला के गाँव रोड़ेवाल में है! यह भी बहुत बड़े सिद्ध थे! इन्होने शराब पीना बंद कर दिया और भगवे वस्त्र धारण कर लिए! सिक्ख धर्म के मशहूर संत बाबा बलवंत सिंह जी पूरणदास जी के शिष्य है! बाबा प्यारा सिंह ने भी अमृत शक लिया और सिक्ख धर्म का प्रचार करने लगे! बाबा प्यारा सिंह के बारे में कहा जाता है कि वे एक ही समय पे कई स्थानों पर नज़र आते थे! उनका स्थान पंजाब के जिला रोपड़ के गाँव झाड़ साहिब में है! बाबा मस्तराम जी अपने गुरु कि तरह ही नग्न रहते थे और उनकी तरह ही शराब पीते थे! बाबा मस्तराम जी में उनके गुरु कि छवि नज़र आती थी! उनकी लीला अपरम्पार थी! वे हर रोज रोपड़ जाकर नहर में नहा कर आते थे! उनका स्थान जिला फतेहगढ़ साहिब की तहसील खमाणों के गाँव उच्चा जटाना में है! एक बार बाबा मस्तराम जी ने कुँआ खोदना शुरू किया तो एक ही रात में बहुत बड़ा कुँआ खोद दिया! सब लोग बाबा जी की करामात देखकर हैरान हो गए! बाबा जी माँस खाते और शराब पीते और जो भी उनके पास आता उन्हें गालियाँ देते जिसे वे गाली देते उनकी किस्मत चमक जाती! वे डेरे में भट्ठी लगाकर शराब निकालते थे, किसी ने उनकी शिकायत इलाके के पुलिस अधिकारीयों को करदी! पुलिस वाले भेष बदलकर आये और बाबाजी से कहा बाबाजी क्या कर रहे हो, बाबाजी भट्ठी पर शराब निकाल रहे थे! उन्होंने कहा केवड़े का अर्क निकाल रहा हूँ!यह सुनकर पुलिस वालों ने कहा हमें भी चखादो बाबाजी ने एक सेवादार से कहा इन्हें अर्क पिलाओ! जब पुलिस वालो ने पिया तो वो केवड़े का अर्क ही था! पुलिस वालों ने कहा बाबाजी हम तो पुलिस वाले है केवड़े का अर्क नहीं पीते! यह सुनकर बाबाजी ने उसी सेवादार से कहा इन्हें शराब पिलाओ सेवादार ने उसी भट्ठी में से शराब निकालकर उन्हें पिलादी! बाबाजी का चमत्कार देखकर पुलिस वाले उनके चरणों में गिर पड़े! बाबाजी का एक भक्त था जो सदा उनकी सेवा में लगा रहता था! उसके एक मित्र के कोई औलाद नहीं थी! उसने बाबाजी से कहा मेरे मित्र अवतार सिंह के घर औलाद नहीं है आप दया कर उसे एक पुत्र दे दें ! बाबाजी ने कहा जब उसके नसीब में पुत्र ही नहीं है तो मै कैसे दे दू अगर मैने दे भी दिया तो वो लेंगे नहीं पर उनका वो भक्त बड़ा जिद्दी था! वे हररोज बाबाजी से अवतार के लिए पुत्र मांगता बाबाजी टाल देते! एक दिन बहुत वर्षा हो रही थी बाबाजी अपने उसी भक्त के साथ बैठे शराब पी रहे थे! बाबाजी ने कहा जाओ ले जाओ जाकर अवतार सिंह को पुत्र दे आओ! बाबाजी की बात सुनकर वो भक्त अवतार सिंह के घर की तरफ चला गया! उसने अवतार सिंह का दरवाज़ा खटखटाया तो अवतार सिंह की पत्नी ने कहा कौन है? वे बोला मै तुम्हारे लिए बाबाजी के डेरे से पुत्र लेकर आया हूँ! जब अवतार सिंह दरवाज़ा खोलने लगा तो उसकी पत्नी ने कहा बाबा के डेरे से शराब पीकर आया है! रात को हमें परेशान करेगा दरवाज़ा मत खोलना, अवतार सिंह ने कहा बात तो ठीक ही है इस वक़्त नशे में है, उसने दरवाज़ा नहीं खोला! बाबा का वो भक्त अपने घर जाने लगा तभी एक और आदमी जिसका नाम अवतार सिंह था , उसने उसे अपने घर बुला लिया और बाबाजी का वो भक्त उनके घर में ही सो गया! दूसरे दिन बाबाजी का वो भक्त जब बाबाजी के पास गया तो बाबाजी ने कहा मैने तो तेरे कहने से पुत्र दे दिया था पर उन्होंने लिया ही नहीं अब जिस अवतार सिंह के घर तू रात गुजार कर आया है उसके घर पुत्र होगा! एक बार गाँव के कुछ युवक बाबाजी को मारने के इरादे से डेरे में गए! जब वे डेरे में पहुचे तो बाबाजी के हाथ अलग और पैर अलग पड़े थे वे लोग डर गए! उन्होंने सोचा बाबाजी को मार तो कोई और गया है, कहीं इलज़ाम हम पर न आ जाये! यह सोचकर वो भाग गए! शाम के वक़्त वे सोचने लगे बाबाजी के मरने की खबर अब तक फैली क्यों नहीं? यह देखने के लिए वो दोबारा बाबाजी के डेरे पहुँचे , बाबाजी सही सलामत घूम रहे थे और उन्हें देखकर हँसने लगे! उन्होंने बाबाजी के पैरों पर गिरकर अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगी! एक बार एक संत गाँव उच्चा जटाना में आये और एक आदमी से पूछने लगे भाई मुझे रात गुजारनी है क्या यहाँ किसी संत का डेरा है? उस व्यक्ति ने कहा बाबा मस्तराम जी का डेरा है पर बाबाजी बड़े गुस्से वाले है और अंडा माँस और शराब का सेवन करते है! यह सुनकर वो संत गुस्से से बोले अच्छा संत होकर माँस खाता है, मै देखता हूँ कैसे खाता है माँस! यह कहकर वो संत बाबा मस्तराम जी के डेरे चले गए और पास के एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गए और मन्त्र पढने लगे! बाबा मस्तराम जी से क्या छुपा था उन्होंने एक सेवादार को पैसे देकर कहा जाओ एक बकरा लेकर आओ! बाबाजी ने जानबूझ कर उस संत के सामने बकरा काटा और बकरा खाने के बाद उस संत को गालियाँ देने लगे और कहने लगे यह आया है मेरा माँस और शराब बंद करवाने, बस इतना कहने की देर थी उस संत की चीखे निकलने लगी और वो संत ज़मीन के साथ जोर जोर से सिर मारने लगा और सांप की तरह रेंगता हुआ बाबाजी के चरणों में आ गिरा और बोला मुझे माफ़ करो! मै नहीं जनता था कि आप इतने पहुँचे हुए हो! बाबा मस्तराम जी ने उन्हें माफ़ कर दिया और एक तरफ उनका आसन लगवा दिया और उनके खाने के लिए शुद्ध भोजन का भी इंतजाम करवा दिया! बाबा मस्तराम जी पाप पुण्य से ऊपर उठ चुके थे उन्हें पाप पुण्य का दोष नहीं लगता था ! गीता में भगवान श्रीकृष्ण जी भी कहते है जिसकी बुद्धि मुझ ईश्वर में रम जाती है, वे कभी पाप पुण्य में लिप्त नहीं होता! बाबा मस्तराम जी तो कबूतर के अंडे साग सब्जी में मिलाकर खा जाते थे! बाबा मस्तराम जी हररोज सुबह रोपड़ नहर में नहाने जाते थे! रोपड़ की दूरी उनके डेरे से 60 -70 किलोमीटर है! बाबाजी पैदल ही हररोज नहाने जाते थे! एक बार बाबाजी ने गाँव के सरपंच से कहा मुझे थोड़ी सी ज़मीन दे दो मै वहां अपने लिए सब्जियां लगा लूँगा! सरपंच बोला संतो को ज़मीन से क्या लेना मै किसी को ज़मीन नहीं दूंगा! इस बात पर बाबाजी नाराज हो गए और उस जगह से थोड़ी दूर जाकर अपने लिए नया डेरा बना लिया! एक बार बाबा मस्तराम जी से मिलने उनके गुरुभाई बाबा प्यारा सिंह जी आये ! जब वे डेरे में आए तो वे बड़े हैरान हुए 8 साल के बच्चे से लेकर 80 साल का बुढा सभी दारू पी रहे थे ! यह देखकर बाबा प्यारा सिंह ने कहा तुम गलत कर रहे हो लोगों को नशे की आदत डाल रहे हो! बाबा मस्तराम जी ने कहा मै वही लोगों को दे रहा हूँ जो मुझे मेरे गुरुदेव ने दिया है! यह सुनकर बाबा प्यारा सिंह जी गुस्से में आ गए और उन्होंने कहा जो करना है कर लो एक दिन इस जगह गुरुद्वारा बनेगा! बाबा मस्तराम जी ने कहा गुरुद्वारा तो बाद में बनेगा जा जिस शराब से तू नफरत कर रहा है उसी शराब को पीने से तेरी मौत होगी! आप गुरुद्वारा झाड़ साहिब जाकर पता कर सकते है, जीवन के अंतिम दिनों में बाबा प्यारा सिंह ने शराब पीनी शुरू करदी थी! बाब मस्तरामजी ने अपने सभी भक्तो को बुलाकर कह दिया के एकादशी के दिन मै अपने शरीर का त्याग कर दूंगा! बाबा जी की यह बात सुनकर सब लोग रोने लगे और कहने लगे बाबाजी मत जाओ! बाबा मस्तराम जी ने कहा ईश्वर की वस्तु है वो ले जा रहे है! जब लोग रो रोकर पागल हो गए तो बाबाजी ने कहा अच्छा रोना बंद कर दो अगली एकादशी को चला जाऊँगा! कहा जाता है कि किसी व्यक्ति को ईश्वर के घर से एक स्वास भी अधिक नहीं मिलता पर बाबा मस्तराम जी ने ईश्वर से 15 दिन ले लिए! जब दोबारा एकादशी आई तो बाबा मस्तराम जी ब्रह्मलीन हो चुके थे! आज उस स्थान पर बाबा मस्तराम जी की मूर्ति स्थापित है हर रविवार को मेला लगता है! बाबा मस्तराम जी शिवरात्रि का व्रत रखते थे और दूसरे दिन लंगर लगाते थे! बाबा मस्तराम जी के समय से ही शिवरात्रि के दूसरे दिन मेला लगाया जाता था! जिसमे बड़े बड़े पहलवान आते थे और कुश्ती करते थे! उस जगह पंजाब स्टाइल कबड्डी के मुकाबले भी होते है और बैलगाड़ियों की रेस ,कुत्तो की रेस और कबूतर की उड़ान की प्रतियोगिता की जाती है! हर साल बाबा मस्तराम जी की बरसी धूमधाम से मनाई जाती है!
बाबा मस्तराम जी की तरह ही उनके गुरुभाई बाबा प्यारा सिंह भी बहुत पहुँचे हुए थे! उन्होंने कहा था इस जगह गुरुद्वारा बनेगा उनकी बात कैसे टल सकती थी! सन 1993-1994 में पंजाब में आंतकवाद का जोर था! उस समय गाँव के सरपंच ने खालिस्तानी समर्थको के साथ मिलकर जबरदस्ती उस जगह गुरु ग्रन्थ साहिब स्थापित कर दिया और वहां गुरुद्वारा बन गया!जिस सरपंच ने गुरुद्वारा स्थापित किया था आज उसके परिवार की बहुत बुरी हालत है!उसकी सारी ज़मीन बिक गयी और वो कंगाल हो गया! बाबा मस्तराम जी के बाद गद्दी उनके शिष्य बाबा पूरणदास को मिली ( पूरणदास दो हुए है एक बाबा मस्तराम जी के शिष्य थे और
एक उनके गुरुभाई ) बाबा पूरणदास भी बहुत पहुचे हुए थे!एक बार समराला पुलिस ने रविवार के दिन पहरा लगाया और कहा आज बाबाजी के डेरे में किसी हालत में शराब नहीं चढ़ने देंगे!एक आदमी जिसका नाम अंग्रेज सिंह था अपने स्कूटर में शराब की दो बोतल रख कर ले गया और कहा बाबाजी अब आप ही मालिक हो!पुलिस वालो ने तलाशी ली पर उन्हें शराब नज़र नहीं आई!एक युवक ने घर में शराब निकाल ली और कहा बाबाजी पुलिस से बचा लो पहली बोतल आपके नाम की चढाने आऊंगा!किसी मुखबिर ने पुलिस को बता दिया जब वो शराब लेकर जा रहा था तो रास्ते में पुलिस ने रोककर कहा तेरे पास शराब है निकाल दे उस आदमी के मुह से निकल गया शराब नहीं यह तो पानी है जब बोतल का मुह खोला गया तो उसमे से पानी निकला!वे इन्सान पानी की बोतल लेकर बाबाजी के दरवार में पंहुचा दरवार पहुचने के बाद पानी फिर से शराब बन गया!
पहले बाबाजी के दरबार में औरतो के आने की मनाही थी पर 1995 में उदासीन संप्रदाय की मीटिंग हुई और उसमे निर्णय लिया गया कि बाबाजी का दरबार औरतों के लिए खोल देना चाहिए और शराब चढाने पर रोक लगा देनी चाहिए! अब इस जगह शराब डेरे के अंदर नहीं ले जाई जाती! डेरे के दरवाज़े पर भोग लगाकर लोगो में बाँट दी जाती है, पर कुछ मेरे जैसे शैतान इन्जेक्शन में शराब भरकर अंदर ले जाते है और बाबाजी को भोग लगा देते है! मै नहीं मानता किसी नियम को मुझे तो बाबा मस्तराम जी कि प्रसन्नता चाहिए! एक बार एक ट्रक ड्राईवर ने सात लोगो पर ट्रक चढ़ा दिया सभी की मौत मौके पर ही हो गयी! उस ड्राईवर ने कहा बाबाजी मैंने जानबूझ कर कुछ नहीं किया अगर मै जेल जाने से बच गया तो सात शराब कि पेटी आपके दरबार में चढ़ा कर जाऊँगा! जज ने उस ड्राईवर को रिहा कर दिया! वे ड्राईवर ट्रक में सात पेटी शराब लोड करके सीधा बाबाजी के डेरे पहुच गया! लोगो ने कहा शराब डेरे में चढ़ाना मना है! उस ट्रक ड्राईवर ने कहा शराब तो मै चढ़ा कर ही जाऊँगा अगर कोई रोकेगा तो उस पर ट्रक चढ़ाकर एक पेटी शराब बाबाजी को और चढ़ा दूंगा! जज से बाबाजी मुझे अपने आप रिहा करवा लेंगे! मेरा एक दोस्त इंग्लैंड में रहता है उसका नाम इकबाल सिंह है!उसका भाई किसी लड़की से प्रेम करता था उस लड़की का नाम सुनीता था!इकबाल सिंह के भाई ने बाबाजी के दरबार में जाकर मन्नत मांगी कि बाबाजी अगर मेरी शादी सुनीता के साथ हो गयी तो मै आपके दरबार में शराब की बोतल चढ़ा कर जऊंगा! इकबाल सिंह ने भी बाबाजी के दरबार में जाकर मन्नत मांगी अगर मेरे भाई की शादी उस लड़की के साथ न हुयी तो मै आपके दरबार में शराब की बोतल चढ़ा कर जऊंगा! दोनों भाईओं को बाबाजी पर बहुत श्रदा थी! उस लड़के की शादी कहीं और हो गयी पर उस लड़की का नाम भी सुनीता ही था! बाबाजी ने दोनों की बात रख ली! मुझपर 47 बार एफ.आई.आर. दर्ज हुई है, जिसमे 28 बार मेरा नाम रेइनक्विरी में बाहर कर दिया! 11 बार मुझे सेशन जज ने एन्टिसिपेट्री दे दी और 8 बार मुझे पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी! मै हर बार बाबाजी के दरवार में हाजरी देने पहुच जाता था! एक बार मै और मेरे दो दोस्त बुल्लेट मोटरसाइकिल पर जा रहे थे! मेरे दोस्त की एक लड़के से दुश्मनी थी! वो लड़का हमें रास्ते में मिल गया और मेरे दोस्त को गालियाँ देने लगा! मेरे दोस्त ने उसी वक़्त उसे गोली मारदी! लड़का बच गया पर हम पर इरादा कतल का मुक़दमा दर्ज हो गया! मैने बाबाजी के दरवार में हाजरी दी और चंडीगढ़ से फरार हो गया! मुझे पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने जमानत दे दी! मेरे दोनों दोस्त पकडे गए और 3 महीने बाद उनकी जमानत हुयी! मै जब भी उदास होता हूँ तो बाबा मस्तराम जी के दरबार में हाजरी देने पहुँच जाता हूँ! यदि वीजा न लगता हो विदेश यात्रा न हो रही हो तो बाबाजी के दरबार में हाजरी देने और मन्नत मांगने से वीजा मिल जाता है! जो लोग कबड्डी और कुश्ती में कामयाब होना चाहते है वो बाबाजी के दरवार में हाजरी देने जरूर आते है!
हर साल लाखों लोग बाबाजी के दरवार में हाजरी देने आते है और मुह मांगी मुरादे ले जाते है! इस समय बाबा मस्तराम जी की गद्दी पर बाबा स्वरणदास विराजमान है! डेरे का सिखों की सर्वोच्च संस्था के साथ मुक़दमा चल रहा है गुरूद्वारे को हटाने के लिए डेरा एक बार मुक़दमा जीत चुका है क्योंकि जब बाबा मस्तराम जी हम जैसे लोगो को मुक़दमा जीता सकते है तो उनका हारना असंभव है! मुझे पूरा विश्वास है आगे भी जीत डेरे की ही होगी! बड़े बड़े लीडर, खिलाडी सभी बाबाजी के दरबार में हाजरी देते है! उनके दरबार से कभी कोई खाली नहीं जाता!बाबाजी की तारीफ के लिए मेरे पास शब्द नहीं है! बाबा मस्तराम जी में जो श्रद्धा रखता है बाबाजी उसे मुसीबत आने से पहले बता देते है!बाबाजी ने कई लोगो को दर्शन भी दिए है! मुझे भी स्वपन में बाबाजी ने कई बार दर्शन दिए है!! बाबा मस्तराम जी मेरे बेस्ट फ्रेंड है उनके जैसा कोई नहीं हो सकता! आप भी सचे मन से पुकारो मेरा विश्वास है कि बाबाजी आपको भी दर्शन ज़रूर देंगे !
जय सद्गुरुदेव !!
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आप बाबा मस्तराम जी का ये स्थान कहा है, पूरा address Bata sakte hai aap ?, Agar kabhi Jana hua Panjab to ho Sakta hai main bhi darshan kar lu
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