ज्योतिष के नाम पर बहुत से पंडित आम जनता को मूरख बनाते है मतलब उन्हें ग्रहों से इतना डरा देते है कि व्यक्ति कुछ भी करने को तयार हो जाता है!ज्योतिष हमें जीना सिखाता है न कि ग्रहों से डरना!हम लोगो का मानना है कि ज्योतिष भविष्य जानने कि कला है पर सदगुरुदेव सिद्ध रक्खा रामजी का मानना था कि ज्योतिष भविष्य जानने की कला नहीं है,ज्योतिष भविष्य सवारने
की कला है पर हम लोग इन धूर्त पण्डितो के द्वारा इतने डर जाते है कि हमें हर समय ग्रहों की चिंता लगी रहती है!हमारे द्वारा बड़े बड़े अनुष्ठान करवाने से हमारा भला हो चाहे न हो पर इन ज्योतिष का धंधा चलाने वाले लोगो का भला अवश्य हो जाता है!ज्योतिष विद्या वेद का तीसरा नेत्र कही जाती है!एक बात जान लीजिये कुंडली में कैसा भी योग क्यों न हो?हमें उस योग से डरना नहीं
है क्योंकि ग्रह सदैव कर्मो के आधार पर फल देते है!हम लोग ज्योतिषी को हजारो रुपये देकर अनुष्ठान करवाते है
पर लाभ नहीं होता क्योंकि ज्यादातर ज्योतिषी तो नियम से गुरुमंत्र और गायत्री का जप भी नहीं करते!एक बार हिमाचल प्रदेश में मै एक संत से मिलने गया वे संत ज्योतिष का बहुत अच्छा ज्ञान रखते थे!संतजी से मैंने कहा संत जी मुझे भी थोडा ज्योतिष सिखा दीजिये!संत बोले थोडा क्यों सारा ज्योतिष सिखा दूंगा यह तो एक गणित है पर तुम्हारी कही भविष्यवाणी तभी सत्य होगी जब ईश्वर की तुम पर कृपा होगी!मै समझ गया संत जी क्या कहना चाहते थे!मैंने दोबारा कभी संत जी से ज्योतिष सिखाने के लिए नहीं कहा और जितना ज्योतिष गुरुदेव से सिखा था उसी के आधार पर कुंडली देखने लगा,कहने का मतलब है गुरुदेव का दिया हुआ गुरुमंत्र ही ज्योतिष का आधार है! ज्योतिष जैसे ही कुंडली खोलता है कह देता है आपकी कुंडली में तो गण्डमूल है और कह देता है पांच हज़ार लगेगे!ज्योतिष पैसे लेकर उपाय नहीं करते और जो करते है उनमे से अधिकतर ज्योतिषियो का उच्चारण सही नहीं होता इसलिए हमें लाभ नहीं होता और हम ज्योतिष विद्या को दोष देते है! आज मै आपको एक सरल उपाय बता रहा हूँ इस उपाय से कैसा भी गण्डमूल क्यों न हो शांत हो जाता है!मुझे इस बात का पता है कि इस उपाय को लिखने के बाद बहुत से ज्योतिषी मुझे बुरा भला कहेंगे और यह भी कहेंगे कि हमारे पेट पर लात मारने वाले तू कभी चैन से न बैठे पर मुझे इस बात कि कोई चिंता नहीं है!पहले आप यह जान लीजिये कि गण्डमूल क्या है?ज्योतिष के अनुसार २७ नक्षत्र है!इन २७ नक्षत्रो में से ६ नक्षत्र ऐसे है जिनमे यदि किसी का जन्म हो जाये तो उसे गण्डमूल कहा जाता है!इनमे से तीन नक्षत्र केतु के प्रभाव में आते है और तीन नक्षत्र बुध के प्रभाव में आते है!मघा,मूल,ज्येष्ठा,अश्वनी,अश् लेशा,रेवती इन नक्षत्रो में जन्म लेने वाला गण्डमूल से पीड़ित होता है!जैसे ही गण्डमूल में बच्चा पैदा हो आप बच्चे के पिता को उसका मुख न देखने दे और पिता कि जेब में फिटकड़ी का टुकड़ा रखवा दे!अब २७ दिन तक प्रतिदिन २७ मूली पत्तो वाली बच्चे के सिर कि तरफ रख दे और दुसरे दिन चलते पानी में वहा दे!इस प्रयोग से कैसा भी गण्डमूल हो शांत हो जायेगा पर बच्चे के पिता को २७ दिन मुख न देखने दे!एक बात समझ ले मूली के पत्ते बुध होते है क्योंकि उनका रंग हरा होता है और मूली का स्वाद कसैला होता है जो केतु का प्रतीक है!इस उपाय को लगातार २७ दिन कीजिये आशा करता हूँ इस उपाय से आप सबको लाभ होगा!मैंने यह उपाय बहुत बार आजमाया है यदि गुरुदेव ने चाहा तो भविष्य में कालसर्प योग और पितृ दोष के उपाय भी आपके सामने रखूंगा!
जय सदगुरुदेव !!
2 comments
Guru ji mara buddh kharab hai aur shukra ast hai kyuki jis bhaaw ka swami surya hai wo usma pada h aur mai jeshta ma paida hua hoon gand mool ka kaise nivaran kru aur mara chandra 3bhaw ma neech ka hai
सर मै यह जानना चाहता हूं कि जिन्हे एक साल से ज्यादा हो गया है, उन बच्चो का गणमूल कैसे शॉन्त करे बताने की कृपा करे।
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